परदेश चला गया हमारा लाल
चला गया है परदेश हमारा लाल पूँछ लेता है फोन पर कभी कभी हमारा हाल चाल बेटा— बहुत बिजी हूँ माँ टाइम नहीं मिलता…
चला गया है परदेश हमारा लाल पूँछ लेता है फोन पर कभी कभी हमारा हाल चाल बेटा— बहुत बिजी हूँ माँ टाइम नहीं मिलता…
तुम को तलाशते तलाशते, खुद को भूल गये तुम को चाहते चाहते जिन्दगी से रूठ गये। पारुल शर्मा
चलो अपनी असलह रूपी कलम को बारूद से लबरेज कर लें,और दाग दें दुश्मनों और गद्दारें के तन पर कि शब्दों के बम रूपी गोले…
हर तरफ आँधियाँ चल रही है नफरतों की हवाओं की साजिशें हैं या सियासी बुखार है। पारुल शर्मा
अनुच्छेद 370 का ही परिणाम हैं जो कश्मीर में अब भी तिरंगे जलते हैं। पथराव होता है देश भक्तों पर और जवानों के तन पे…
।। गम बनाम खुशी ।। गम बोला खुशी से —-बता बता दो जा रही हो जिसकी जिंदगी से। खुशी—वहाँ तो मेरा आना जाना लगा रहता…
—————– वधू चाहिए ———— आये लड़के वाले छपवाने इस्तहार मेरी संजीवनी में एक वधू चाहिए आ गयी है कड़की घर में है परिवार छोटा सा…
।। गम बनाम खुशी ।। गम बोला खुशी से —-बता बता दो जा रही हो जिसकी जिंदगी से। खुशी—वहाँ तो मेरा आना जाना लगा…
मेरे शब्दों का आज फिर मुँह उतर गया तुमने फिर इन पर अपनी खामोशी जो रख दी। पारुल शर्मा
“ऐ दिल” तुझसे फुर्सत मिले जिन्दगी को तभी तो समझूँगा मैं। पारुल शर्मा
मेरे शब्दों का आज फिर मुँह उतर गया तुमने फिर इन पर अपनी खामोशी जो रख दी। पारुल शर्मा
तेरी खामोशी ने ही बिखेर दिया मुझे सफ़हों पर। और मेरी तमन्ना थी कि तेरी बाँहों का सहारा मिले।
जो हर चीज को दौलत से आँकते हैं उनके दिल कीमती नहीं होते ।
औरतों के घर कहाँ होते हैं जहाँ पैदा हुई वो मायका जहाँ शादी हुई वो ससुराल।औरतों के अपने कहाँ होते हैं।एक के लिए पराया धनदूजे…
सफेद दरख्त अब उदास हैं जिन परिंदों के घर बनाये थे वो अपना आशियाना ले उड़ चले। सफेद दरख्त अब तन्हा हैं करारे करारे हरे…
वो अक्स अपना देखकर…. भीगी आँखों से मुस्कराई तो होगी मैंने कहा था उससे कभी…. उसकी आँखें मेरे दिल का आईना हैं. ** ” पारुल…
इश्क के बाजार में दिल की तिजारत यूँ हुई सपनों के बदले नींद गयी बङी हिफाजत से रखा था प्यार दिल में रूह,दिल,नजर दिमाक आ…
जिन्दगी का फलसफा कौन समझ पाता है हालात बदलते है नहीं वक्त गुजर जाता है कल ये हुआ,कल क्या होगा इस कशमकश में, पल पल…
मेरे जख्मों पर तुम मुस्कराना आँशू न बहाना मुस्कराहट मरहम,आँशू नमकीन होते हैं। ** ” पारुल शर्मा ” **
बूँद बनी तेजाब कण बना अंगार ध्वनी शूल बनी वायू बनी आग इलेक्ट्रोंनिक्स के महीन कटीले झाड़ वाहनों,फेक्ट्रीयों के धुँये का जंजाल भूमी में रिसते…
इस कलि को मुस्कुराने दो कोख से धरती की गोद में आने दो बिखेर देगी चारोंतरफ खुशियाँ खुल के तो इसे मुस्कुराने दो। बेटी को…
मंदिर में पानी भरती वह बच्ची चूल्हे चौके में छुकती छुटकी भट्टी में रोटी सा तपता रामू ढावे पर चाय-चाय की आवाज लगाता गुमशुदा श्यामू…
।। माँ ।। वो दूर गया है परसों से माँ सोई नहीं है बरसों से माँ की आँखों से ही तो घर-घर में उजाला है।…
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