गाली देना सरल है,
गाली देना सरल है,
मुँह से गलत शब्द निकालना
बहुत सरल है।
इंसान को
आस्तीन का सांप,
दो-गला, दो-गले कहना
बहुत सरल है।
फिर भी आंखों में
तरल है।
यह अमिय है या
गरल है।
फूटी आंख नहीं सुहाते,
मुझे अपने से आगे बढ़ने वाले
मैं ही बोलूँ,
सब लगा लें अपनी जुबान में ताले।
स्नेह एक बार जो हुआ
वो मिटता नहीं है
लेकिन स्नेह वक्त बेवक्त
गाली सहता नहीं है।
गाली ही तो तोड़ देती है
सब कुछ,
बाकी तो चलता रहता है
बहुत कुछ।
अतिसुंदर
सटीक अभिव्यक्ति
स्नेह एक बार जो हुआ वह मिटता नहीं है,लेकिन स्नेह वक्त बेवक्त गाली सहता नहीं है,
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति
अति सुंदर भाव
Very true