Site icon Saavan

गिल्ली

गिल्ली डंडे के खेल पुराने हो गए,
कंचे के काँच दिखे जमाने हो गए,
भरे रहता था आसमाँ जिन पतँगों से कभी,
अब ज़मी पर बच्चे भी निराले हो गए।।
राही (अंजाना)

Exit mobile version