गिल्ली राही अंजाना 6 years ago गिल्ली डंडे के खेल पुराने हो गए, कंचे के काँच दिखे जमाने हो गए, भरे रहता था आसमाँ जिन पतँगों से कभी, अब ज़मी पर बच्चे भी निराले हो गए।। राही (अंजाना)