घर याद आया .

फिर मुझको मेरा घर याद आया .
अकेला था मेरा मन जब ,
न था कोई भी जब साया .
फिर मुझको …..
मैं खाने जब भी जाता हूँ ,
तो माँ की याद आती है ,
अकेले सोचता हूँ जब,
मुझे पल पल रुलाती है .
कभी दुविधा में जब मैं था,
तो ईश्वर याद न आया .
कभी तबियत बिगड़ने पर ,
मैं माँ का नाम चिल्लाया .
फिर मुझको मेरा घर याद आया ……

…atr

 

Related Articles

आज़ाद हिंद

सम्पूर्ण ब्रहमण्ड भीतर विराजत  ! अनेक खंड , चंद्रमा तरेगन  !! सूर्य व अनेक उपागम् , ! किंतु मुख्य नॅव खण्डो  !!   मे पृथ्वी…

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

Responses

+

New Report

Close