चलते जाते

चलते जाते ,बढ़ते जाते
डरते नहीं हैं जख्मो से

-विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

डर

मैं तूफाँ नहीं, क्यों मुझसे डरते हो ईर्ष्या मैं क्यों, जल जल कर मरते हो -विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-

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