चला खुद को लेकर न जाने कहाँ …!
चला खुद को लेकर न जाने कहाँ …!
चला खुद को लेकर न जाने कहाँ,
अनजाना सफ़र ये, न जाना जहाँ ……!
समझ जब ये आया, समझता हूँ मैं,
जाना समझता न कुछ भी यहाँ. ……!
यहाँ जानना क्या और क्या जानूँ मैं,
कहाँ किससे पूंछूँ समझ ये कहाँ. …….!
इसी भ्रम में लेकर हूँ खुद को चला,
न जानू क्या खोया, क्या पाया यहाँ …..!
ये क्या सोचकर मैं भी लिखता हूँ ये,
क्या लिखकर पता कुछ मिलेगा यहाँ …?
उम्मीद में हूँ पता कुछ चले
कहाँ मेरी मंजिल और मैं हूँ कहाँ ……!
” विश्व नन्द “
Nice get 🙂
Thanks so much…!
वाह बहुत सुंदर