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चल पडे बैठकर रेल में

ये मेहनतकश हैं भारत के,
चल पडे बैठकर रेल में
इनकी दुविधा समझें हम सब,
ना लें इसको खेल में
देश बन्द हुआ, काम बन्द हुआ
पेट बन्द तो नहीं होता
काम नहीं, कमाई नहीं है,
भूखे पेट कैसे सोता.,
ना खाना है ना दूध मिला
घर में भुखा बालक रोता
भुखमरी की दुर्दशा रहे थे ये झेल
गांव इनके इनको ले चली ये रेल

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