Categories: Poetry on Picture Contest
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
जंगे आज़ादी (आजादी की ७०वी वर्षगाँठ के शुभ अवसर पर राष्ट्र को समर्पित)
वर्ष सैकड़ों बीत गये, आज़ादी हमको मिली नहीं लाखों शहीद कुर्बान हुए, आज़ादी हमको मिली नहीं भारत जननी स्वर्ण भूमि पर, बर्बर अत्याचार हुये माता…
एक सावन ऐसा भी (कहानी)
किसी ने कहा है कि प्रेम की कोई जात नहीं होती, कोई मजहब नहीं होता ।मगर हर किसी की समझ में कहां आती है…
गांव आना चाहता हूं
बाबा मैं वापस गांव आना चाहता हूं। उस घर में जहां से आधुनिकता की आंधी ना गुजरी हो अभी तक, वहां मिट्टी के चूल्हे की…
ख्वाहिश
समझदार हो गर, तो फिर खुद ही समझो। बताने से समझे तो क्या फायदा है॥ जो हो ख़ैरियतमंद सच्चे हमारे, तो हालत हमारी ख़ुद ही…
Nice
Thank you sir for your comment
वर्तनी अशुद्ध है
Good
Thanks🙏
वाह
Thanks🙏
👏👏
Thanks 🙏
Bahut khoob
You are great