ღღ__कल शब मिला था इक चाँद, हाँ “साहब” चाँद ही रहा होगा;
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मिले भी तो दूर से, प्यार पर गुरूर से, और दोनों ही मजबूर से!!….#अक्स
ღღ__कल शब मिला था इक चाँद, हाँ “साहब” चाँद ही रहा होगा;
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मिले भी तो दूर से, प्यार पर गुरूर से, और दोनों ही मजबूर से!!….#अक्स