जब जीवन की हो अंधियारी रात

मोहब्बत की अद्भुत है दास्तान,
कब शुरू हुई और
कब चढ़ी परवान।
चाॅंद तारों की ख्वाहिश नहीं है,
बस मिले मधुर मुस्कान ।
या फ़िर हो सुगन्धित फूल,
कुछ कम हों हृदय के शूल।
जब ऑंखें नम हों जाऍं मीत,
कह देना तुम कोई गीत।
जब जीवन की हो अंधियारी रात,
रौशन कर देना, देकर साथ।
नहीं रहेंगी फिर ऑंखें नम,
मिट जाऍंगे सारे दर्द-ओ-ग़म॥
_____✍गीता

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Responses

    1. सुन्दर टिप्पणी और प्रोत्साहन के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद सतीश जी

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