Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
anupriya sharma
Hello!
Related Articles
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
सर्दी
वसंत को कहा अलविदा, ग्रीष्म और वर्षा काल बीता अब शरद और हेमंत अायी, सर्दी शिशिर तक छाई ये सर्द सर्द सी राते, इसकी बड़ी…
ऐ बेदर्द सर्दी! तुम्हारा भी कोई हिसाब नहीं
ऐ बेदर्द सर्दी ! तुम्हारा भी कोई हिसाब नहीं। कहीं मंद शीतल हवाएँ । कहीं शबनम की ऱवाएँ ।। दिन को रात किया कोहरे का…
पत्थरों की तरह आदतें हो गयीं
हम भी रोये नहीं मुद्दतें हो गयीं। पत्थरों की तरह आदतें हो गयीं। जबसे बेताज वह बादशाह बन गया, पगड़ियों पर बुरी नीयतें हो गयीं।…
सही फ़रमाया आपने अन्नू जी…..
nice
वाह
बहुत खूब
सुन्दर प्रस्तुति