जिसे जिंदगी कहते हैं प्रतिमा चौधरी 4 years ago कितनी उधेड़बुन करती हूं, मैं इन धागों के साथ । जिसे जिंदगी कहते हैं , कभी गम की गांठ खोलती हूं। कभी खुशियों की गांठ बांधती हूं । बस लगी रहती हूं ,इसे सुलझाने में। कितनी उधेड़बुन करती हूं, मैं इन धागों के साथ। जिसे जिंदगी कहते हैं।