Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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एक सावन ऐसा भी (कहानी)
किसी ने कहा है कि प्रेम की कोई जात नहीं होती, कोई मजहब नहीं होता ।मगर हर किसी की समझ में कहां आती है…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
तेरे ही आसपास कल्पना कवि की है,…..! (गीत)
तेरे ही आसपास कल्पना कवि की है,…..! (गीत) तेरे ही आसपास कल्पना कवि की है, कल्पना कवि की है, वंचना कवि की है, वंचना कवि…
रहस्य जीवन
रहस्य जीवन अनेक प्रश्न निरुत्तर प्रश्न संभव जीवन संभव मोक्ष निरर्थक प्रश्न पुनर्जन्म संभव जन्म सार्थक प्रश्न मृत्यु प्रश्न सत्य प्रश्न यथार्थ प्रश्न प्रारब्ध चिंतन…
प्रेम
मेरी लेखनी में अभी जंग लगा नहीं। प्रेम के सिवा दूजा कोई रंग चढ़ा नहीं। प्रेम में लिखता हूँ, प्रेम हेतु लिखता हूँ। प्रेम पर…
बहुत सुन्दर रचना
धन्यवाद सुमन जी
बहुत सुंदर
बहुत-बहुत धन्यवाद
Nice