Categories: मुक्तक
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शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
पत्थर होना आसान नहीं
मैं ‘पत्थर’ हो गया हूँ पर वो पत्थर नहीं जिसे ‘पूजा’ जाय, बस एक ‘साधारण पत्थर’, पर साधारण पत्थर होना ही क्या ‘आसान’ है? देखने…
O dunia ke rakhwale
ओ दुनिया के रखवाले तूने क्या खूब ये दुनिया बनाई, सूरज बनाया तूने चंदा बनाया, तारे बनाए तूने सितारे बनाए, अंबर ये नीले नीले तूने…
पत्थर सा दिल
तो अब हम नहीं मिलेंगे? शायद उम्मीद भी नहीं ही थी पर फिर भी, इस खयाल से दिल पत्थर सा महसूस होता है शायद उस…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
सुन्दर
खूब
वाह,वाह बहुत ख़ूब भाई जी….सच ही तो है।
सुन्दर
बहुत ही अच्छी
बहुत ख़ूब