Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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मैं हूँ नीर
मैं हूँ नीर, आज की समस्या गंभीर मैं सुनाने को अपनी मनोवेदना हूँ बहुत अधीर , मैं हूँ नीर जब मैं निकली श्री शिव की…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
दुर्गा भाभी-01
उम्मीद की लौ जल-जल के बुझ रही थी नाउम्मीदी के तिमिर में, हर साँस जल रही थी परालम्बन भरे जीवन से मुक्ति हमें दिलाने वीर-…
अमावस की रात बना गया।।
गुंजाइश ही नहीं थी कि चांद यूँ बदली में अपना मुँह छुपा लेगा, मुझे देखेगा और कुछ ना बोलेगा। मेरी नाउम्मीदी को नकार कर पूर्णिमा…
उषा काल की मॅंजुल बेला
उगते सूर्य की रश्मियाँ, जब-जब पड़ी हरित किसलय पर सुनहरी पत्तियाँ हो गईं, देख सुनहरी आभा उनकी, आली, मैं कहीं खो गई। वृक्षों के बीच-बीच…
good one
बहुत बहुत आभार आपका