तुम्हारा बहुत-बहुत आभार ज़िन्दगी

तुमने जो किया सब भला ही किया,
तुमने जो दिया सब भला ही दिया।
आरम्भ भी तुम्हीं से और अन्त भी तुम्हीं तक,
तुम्हारा बहुत-बहुत आभार ज़िन्दगी ।
बिखरते ही जा रहे थे, एक माला के मनके
ठहराव सा पा गए हैं,जज़्बात मेरे मन के।
तुमने मुझे मुस्कुराना सिखाया ज़िन्दगी,
कभी कठिन समय भी दिखाया ज़िन्दगी।
मेरा हाथ थामें चलती रही सदा तुम,
कभी जीत मिली,
कभी मिली हार ज़िन्दगी।
हर पल है तुम्हारा आभार ज़िन्दगी
जो पल मिले नाकामियों से,
वो पल बने,अनुभव ज़िन्दगी।
जो पल मिले तुमसे हसीं,
वह पल दिल में छुपा लिए हैं कहीं।
तुमने मुझे थामा है जिस प्रकार ज़िन्दगी,
उसके लिए तुम्हारा आभार ज़िन्दगी।
तुमसे जो मिला न उससे कुछ गिला,
कभी मन बुझा तो कभी मन खिला।
यह तो है ज़िन्दगी भर का सिलसिला
करते रहना यूं ही हमें प्यार ज़िन्दगी,
तुम्हारा बहुत-बहुत आभार जिंदगी।
_____✍️गीता

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