तू ख़्वाब सी है ..
सुबह की धुप होकर गुज़री हो,
जैसे,
तेरी आँखों से।
चेहरे पर गिरे तेरे बाल,
पत्तों ने मुहब्बत सी कर ली हो
जैसे शाखों से।
रोशनियों ने कभी जैसे अंगड़ाई ली हो
तेरे हाथों में
और वक्त जैसे कभी उलझ सा गया हो
तेरी बातों में।
मै हकीकत सा हूँ
तू ख़्वाब सी है
मै सवाल सा हूँ
तू जवाब सी है।
गर मिल जाए तू कभी……
अँधेरे के इस तालाब में;
शायद!
कि सूरज कोई मद्धम सा खिल जाए एक और
फिर शायद उम्र भर
लम्हे सब एक दूसरे को रोशन करें।
योगेश शर्मा
मै हकीकत सा हूँ
तू ख़्वाब सी है
मै सवाल सा हूँ
तू जवाब सी है।…. बहुत खूब!
behtareen ji
Good
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