और ख़्वाब कई….

किसी अनजान बीहड़ में सुर्ख़ पत्तों से ढंका, एक लम्बा और संकरा रास्ता…. बहुत दूर से आता हुआ शायद अनंत से, खैर! पंहुचता तो होगा…

New Report

Close