तेरी रहमत और बरकतो का अंत ना हुआ

ए मालिक मेरी चाहतों का अंत ना हुआ

तेरी रहमत और बरकतो का अंत ना हुआ

शायद मेरी चाहतो में थी छुपी रज़ा तेरी

या मेरी नादानियों को ना मिली सजा तेरी

 

….. यूई

Related Articles

आज़ाद हिंद

सम्पूर्ण ब्रहमण्ड भीतर विराजत  ! अनेक खंड , चंद्रमा तरेगन  !! सूर्य व अनेक उपागम् , ! किंतु मुख्य नॅव खण्डो  !!   मे पृथ्वी…

Responses

+

New Report

Close