Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
सांझ दिवस
सांझ दिवस और रैन में, बीएस तुमको ही पुकारा है सृष्टि के कण कण में, तुमको ही पुकारा है -विनीता श्रीवास्तव(नीरजा नीर)-
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-9
दुर्योधन भले हीं खलनायक था ,पर कमजोर नहीं । श्रीकृष्ण का रौद्र रूप देखने के बाद भी उनसे भिड़ने से नहीं कतराता । तो जरूरत…
मैं हूँ नीर
मैं हूँ नीर, आज की समस्या गंभीर मैं सुनाने को अपनी मनोवेदना हूँ बहुत अधीर , मैं हूँ नीर जब मैं निकली श्री शिव की…
जग
जी ले जीवन ऐ मनवा, ये जग तो रैन बसेरा न हो बंधन न हो मुक्ति, नित रहे प्रिय का पहरा जी ले जीवन ऐ…
Waahhh sundar
Dhanyawad apka
Sundar
धन्यवाद
dhanyawad
Good