Categories: शेर-ओ-शायरी
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प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
मां तूं दुनिया मेरी
हरदम शिकायत तूं मुझे माना करती कहां निमकी-खोरमा छिपा के रखती कहां भाई से ही स्नेह मन में तेरे यहां रह के भी तूं रहती…
ठान लूँ गर
ठान लूँ गर मैं तो कुछ भी कर सकती हूँ ठान लूँ गर मैं तो असंभव भी संभव कर सकती हूँ ठान लूँ गर मैं…
अतिसुंदर भाव
बहुत खूब
सुन्दर अभिव्यक्ति
सुंदरता पंक्तियां
कवि प्रज्ञा जी की इस कविता में प्रेम तत्व की प्रधानता है। प्रेम शब्द अपने आप में जितना सरल और सहज दिखाई देता है, उस पर कविता लिखना उतना आसान नहीं है। लेकिन प्रज्ञा जी की उपरोक्त पंक्तियाँ पाठक को रेशमी रूमानियत में सहज ही लपेट लेने में सक्षम दिखाई देती हैं।
भाव प्रधान इन पंक्तियों में प्रयुक्त सरल भाषा कथ्य को पाठक पर पहुँचाने में पूरी तरह सक्षम है।