दुआ

कविता- दुआ

बदुआ या समझ,
या दुआ तु समझ|
जैसा कहके है छोड़ी मुझे,
वैसा पाके समझ|

जो दिया है मुझे,
वही देता तुझे|
खुशियाँ है ना मिली,
ना मिलेगी तुझे|

रोता रहता था मै,
रात भर जब वहाँ|
रोना तुझको पड़ेगा,
हस्ती रहती जहाँ|

है खुदा से दुआ,
ना ऐ छोड़े इसे|
आज मिट्टी तु कर ,
है नाज चेहरे पे इसे|

रात बीती मेरी,
आसूओ के सहारे|
तेरा जीवन भी बीते,
शोक सहारे|

समझ पाइ अगर,
मेरी बात समझ|
जैसी करनी तेरी,
वैसी भरनी समझ|
✍✍✍✍✍✍✍✍✍✍

कवि- ऋषि कुमार “प्रभाकर ”
पता- खजुरी खुर्द ,थाना-तह., कोरांव ,जिला-प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
पिन कोड 212306
मो.. 9044960945

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Responses

  1. वाह सर , मज़ा आ गया

    होकर बेवफा मेरा इंतकाम देखेगी
    अपनी ही सहेली के साथ मुझे सुबह शाम देखेगी।

  2. वाह सर, मज़ा आ गया।

    होकर बेवफा मेरा इंतकाम देखेगी
    अपनी ही सहेली के साथ मुझे सुबह शाम देखेगी।

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