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*दोस्ती*

*****हास्य – रचना*****
कछुए और खरगोश की,
पांच मील की लग गई रेस
तीन मील पर खरगोश ने देखा,
कछुआ तो अभी दूर बहुत है
थोड़ा सा आराम करूं
ना…ना वो सोया नहीं
ये पुरानी नहीं, ये तो है कहानी एक नई
खरगोश ने लगाया दीवार पर एक टेका
उसे सामने ही दिख गया एक ठेका
दो-तीन लिटिल-लिटिल
पीने के बाद…
खरगोश को आई, कछुए की याद
कछुआ भी धीरे-धीरे , आ गया करीब
खरगोश ने कहा कछुए से
थोड़ी सी लिटिल-लिटिल पीने से
थकान दूर होती है….
कछुआ भी मान गया
और लगा ली लिटिल-लिटिल
दोस्ती देख कर खरगोश की,
कछुए के चेहरे पे आया नूर
भर के बोला वो..
अपनी आंखों में सुरूर
मैं लोगों की बातों में आया,
तुम संग मैं क्यूं रेस लगाया
हम दोनों दोस्त रहेंगे सदा
मिलते रहना ,फोन भी करेंगे यदा-कदा
दोस्ती की फिर खाई कसमें,
दोस्त हुए फिर दोनों पक्के
पी कर थोड़ा लिटिल-लिटिल

*****✍️गीता

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