दोस्त
मिलते हैं कुछ फ़रिश्ते ज़िन्दगी में,
बना देते हैं रिश्ते ज़िन्दगी में,
साथ निभाऍं हॅंसते-हॅंसते,
ज़िन्दगी में।
टूट जाए जब दिल, जिगर
हो कर निराश, हम जाऍं बिखर,
तब करते हैं वो बहुत फ़िकर।
कीमती समय अपना देकर,
हौसला नहीं टूटने दें मगर।
करते हैं मदद इक आह पर,
पलकें बिछा दें राह पर
जिन्हें दर्द का एहसास हो,
पड़े जरूरत तो वो पास हो,
वजह बनें मुस्कान की,
दर्द की बन जाऍं दवा,
हो उन पर अभिमान
उन्हें हम दोस्त कहते हैं ज़िन्दगी में..
मिलते हैं कुछ फ़रिश्ते ज़िन्दगी में॥
______✍गीता
मित्रता दिवस की शुभकामनाएँ
वाह वाह
बहुत-बहुत धन्यवाद चंद्रा जी
दर्द की बन जाऍं दवा,
हो उन पर अभिमान
उन्हें हम दोस्त कहते हैं ज़िन्दगी में..
मिलते हैं कुछ फ़रिश्ते ज़िन्दगी में॥
—- लेखनी में अदभुत कवित्त्व क्षमता है। भाव व शिल्प दोनों संतुलित हैं।
कविता की इतनी सुंदर और उत्साहवर्धक समीक्षा हेतु आपका बहुत-बहुत धन्यवाद सतीश जी, अभिवादन 🙏