दौर आ चला है
देखो फिर किचड़ उछालने का दौर आ चला है।
खुद का दामन संभालने का दौर आ चला है।
लाख दाग सही, खुद का गिरेबां बेदाग नहीं,
दुसरों की गलतियां गिनाने का दौर आ चला है।
वादों की फेहरिस्त तो, फिर से लंबी हो चली,
इरादों को समझने समझाने का दौर आ चला है।
बरसों से निशां पे फ़ना हैं, कुछ एक नादां मुरीद,
शख्सियत पे बदलाव लाने का दौर आ चला है।
वहां रसूख़दारों की मिलीभगत, पूरे ज़ोरों पर है,
यहां दोस्तों के लड़ने लड़ाने का दौर आ चला है।
देवेश साखरे ‘देव’
1. फेहरिस्त-सूची, 2. मुरीद-अनुयायी
Nice gajal
शुक्रिया
Nice one
Thanks
बहुत बढ़िया
Thanks
Waah ji waah