Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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मैं हूँ नीर
मैं हूँ नीर, आज की समस्या गंभीर मैं सुनाने को अपनी मनोवेदना हूँ बहुत अधीर , मैं हूँ नीर जब मैं निकली श्री शिव की…
एक दीप जलाओ ऐसा
सौ दीप जला लो मंदिरों में चाहे हजारे दीये जल तेरे आँगन में जब तक मन की तम ना होंगे दूर तब-तक है तेरे सारे…
एक दीप जलाओ ऐसा
सौ दीप जला लो मंदिरों में, चाहे हजार दीये जले तेरे आँगन में, जब-तक तेरे मन की तम ना होंगे दुर । तब-तक है तेरे…
जंगे आज़ादी (आजादी की ७०वी वर्षगाँठ के शुभ अवसर पर राष्ट्र को समर्पित)
वर्ष सैकड़ों बीत गये, आज़ादी हमको मिली नहीं लाखों शहीद कुर्बान हुए, आज़ादी हमको मिली नहीं भारत जननी स्वर्ण भूमि पर, बर्बर अत्याचार हुये माता…
तू द्वीप
माटी में , तू द्वीप पानी में, तू सीप राग में,तू गीत हार हूँ, तू जीत –विनीता श्रीवास्तव (नीरजा नीर)–
वाह
वाह
बहुत धन्यवाद्
Waah
बहुत बहुत आभार आपका
Good