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नदी और नाला।

जहां गंगा पवित्र है ,
वही पवित्र तो नाला भी होता था कभी,
अगर गंगा पाप धोती है !
तो नाला पापों को समेटता है अपने में।
पर नाले को कौन पूजेगा,
पर कभी नाला भी नदी हुआ करता था ,
वही स्वच्छ जल और और वही पवित्रता
पर जैसे ही नदी सूखी ,हमने बना दिया
उसे नाला !
और अब नाला; नाला है और नदी , नदी है।

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