नव पल परिवेश का अहवान हो
✍? (अंदाज )?✍
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नव पल परिवेश का अहवान हो
अंतर्मन मे नैतिक उत्थान हो
जीवन है जग मे एक भीषण युद्ध
विजय भाव का मन मे उफान हो
निज लक्ष्य मिले हो सबका भला
स्वभाव मे ये गुण सव॔ पहचान हो
आगाज हो रणकुशलता से सव॔त्र
धरती के कण कण मे मुस्कान हो
वैचारिक शक्ति से अलख जगाओ
कम॔शीलता का नया निशान हो
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श्याम दास महंत
घरघोडा
जिला-रायगढ (छग)
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( दिनांक 02-04-2018)
Waah
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