गीत होठो पे समाने आ गये है
गीत होठो पे समाने आ गये है प्रीत भावो के सजाने आ गये है ? चाह ले के आस छाके गा रही है साज ओढे…
गीत होठो पे समाने आ गये है प्रीत भावो के सजाने आ गये है ? चाह ले के आस छाके गा रही है साज ओढे…
जवानी हाय इठलाने लगी है जुबां पे आह सी आने लगी है हमारी चाह भडका के अदाये तुफानी प्रीत भडकाने लगी है उठी है प्रीति…
✍?अंदाज ?✍ ——-$——– ✍ न करो चमन की बरबाद गलियां कुचल के सुमन रौंद कर कलियाँ पुरुषार्थ है तुम्हारा तरूवर लगाना बागो मे खिलाना मोहक…
✍?(अंदाज) ?✍ ——-$—— ✍ नूर हो तुम आफताब हो तुम लहर हो तुम लाजवाब हो तुम मेरे चाहते दिल की तमन्ना जवाॅ दिलकश गजब शबाब…
✍?(अंदाज )?✍ ———-$———- ✍ उठ जाग मत थक हार इंसान तू मानवीय औकात निखार इंसान तू है तू प्रचंड शक्ति शाली बलवान आत्म ज्ञान परख…
✍?(अंदाज )?✍ ———$——- ✍ घोर कलियुग है देख पाप प्रबल चंहुदिश क्षुद्र देख विद्रूप दलदल दूषित जल घना हवाएं प्रदूषित मन मे मैल देख बेईमानी…
✍?(गीताज) ?✍ ———$—— ✍ विषाक्त है आज परिवेश देख। आक्रोश मे सुप्त आवेश देख।। कण कण मे है गुस्सा आलम मे नव क्रोध है धरती…
✍?(गीताज ) ?✍ ——-$——- ✍ विष मय है आज देख परिवेश। आक्रोश मे घुला है सुप्त आवेश।। कण कण मे गुस्सा आलम मे नव क्रोध…
✍? ( अंदाज ) ?✍ —–$—‘ ✍ न हताश रख न उदास रख जिंदगी मे बस तू आस रख प्रतिकूलता से न तू डर कभी…
✍?(अंदाज)?✍ —–$—– ✍ जिंदगी मे व्यवहार जिंदा रखिए जिंदगी मे सुसंस्कार जिंदा रखिए रूठना मनाना क्रम है जीवन का रूठकर भी नेह धार जिंदा रखिए…
✍?(अंदाज) ?✍ ——-$—— ✍ विकराल बन तू महाकाल बन मिसाल बन तू बेमिसाल बन अनंत अकूत अद्भुत साहस धर प्रचंड प्रबल प्रतिरुप विशाल बन बुराईया…
✍?(अंदाज) ? —–($)—- ✍ दुःख मे भी मुस्कुराना सीखिए गम मे भी खिलखिलाना सीखिए उलझने आये चाहे जितने भी रंज मे भी मचल जाना सीखिए…
✍?(अंदाज ) ?✍ —–($)—- ✍ हौसला बुलंद रखो धीर मन मे आयेगी बहार जरूर चमन मे नैराश्य को सदा ध्वस्त करो मेहनत संवारो हमेशा तन…
✍? (अंदाज ) ?✍ ——-($)—— ✍ विद्रूपता का सव॔ विनाश करो कण -कण मे दृढ विश्वास भरो शौर्यशिलता का प्रतीक तुम बुद्धि मे विवेक गुण…
✍? (अंदाज )?✍ ✍ नव पल परिवेश का अहवान हो अंतर्मन मे नैतिक उत्थान हो जीवन है जग मे एक भीषण युद्ध विजय भाव का…
✍? (अंदाज ) ?✍ ——($)—– ✍ बिषमताओ से टकराना जरूरी है संघर्ष के जल से नहाना जरूरी है जीवन है गतिमान लय का रूप जिंदगी…
✍?अंदाज ?✍ ——-($)—— ✍ आलस्य न प्रमाद धर तनाव न अवसाद धर ऊमंग रख नस-नस मे उत्साह का स्वाद रख तरुणाई की बेला है जीत…
✍? अर्जुन ?✍ ✍ अ– अन्याय /अनैतिकता विरोधी न्याय नैतिकता संपोषक ।। र– रक्षक मानवीय संवेदना सव॔धर्म समभाव संरक्षक ।। जु — जुझारू कम॔शील न्यायिक…
✍ ? गजल ?✍ ——-($)——- ✍ रक्त से सनी धरती लाल देख चहुंओर हाहाकार हाल देख समरसता जल रही धूं धूं कर सद्भावना है बदहाल…
✍? गजल ?✍ ✍ तू ही हैअर्जुन आवाज सुन परिवेश का दर्दे साज सुन छटपटा रही धरती देख तू माहौल का क्रंदन आज सुन तेरे…
✍? गजल ?✍ —–(*)—– ✍ जग मे कुछ कर जाना जरूरी है जीवन मे मुस्कुराना जरूरी है चाहे हो कष्ट संकट गहनतम धैर्य से निकल…
✍? गजल ?✍ ——-($)——- ✍ आओ धरती पे चरण रखो पाथ॔ संत साधुओ को तारो निस्वार्थ बिलखता पल विषाक्त क्षण मे विषैले हवाओ को टारो…
✍?गीत ?✍ ✍ प्रणय निवेदन मेरे तू ही प्रीत है। तू ही आरजू है तू ही मीत है।। रस्मे वफा की कसम तेरी याद है…
✍? गजल ?✍ —–($)—– ✍ सत्य असत्य मे क्या सच्चाई है ईमान बेईमान के बीच लड़ाई है इंसान का इंसान मे नही विश्वास मानव का…
✍? गजल ?✍ ——-($)——- ✍ मेरी जिंदगी का निखार तू है मेरी मुस्कान का प्रसार तू है तेरी चाहत का मै हूं दिवाना मेरी मुहब्बत…
? गजल ? ✍ तेरी नयन मदभरी गजब तेरी अदाएं रसभरी गजब मुस्कानो की पहचान नई तेरी सदाएं खरी-खरी गजब अंगड़ाई मे खिली मोहकता तेरी…
? गजल ? पाण्डव सा धैर्य धर्म मे संवरिए कौरव सा न अधम॔ मे संघरिए सांसारिक खुशी चाह के लिखे बेईमानी का न दामन धरिए…
सावन का मुग्ध फुहार तू है । बूंदो की रमणीक धार तू है ।। कोमल वाणी मे खिली, आह! लचक सुरीली । खनकती बोली मे…
क्षणिका ?:– ✍ जब गम सताता है, गाने मैं गुनगुनाता हूं । जब ददं रुलाता है, तराने मैं सजाता हूँ ।। (1) जब रंज बढ…
अटल अविचल धर पग बढ़ नारी जीवन मे नव इतिहास गढ़ नारी नारी है तू यह सोच न कमतर कम॔ कर तू अभिनव हटकर तुझसे…
–:?गीत ?:- ✍ सावन का मुग्ध फुहार तू है । बूंदो की रमणीक धार तू है ।। कोमल वाणी मे खिली, आह! लचक सुरीली ।…
–:?गीत ?:- ✍ सावन का मुग्ध फुहार तू है । बूंदो की रमणीक धार तू है ।। कोमल वाणी मे खिली, आह! लचक सुरीली ।…
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