*नारी तू नारायणी*

अबला बनकर रह लिया बहुत
अब स्वयं सबला तुम्हें बनना होगा
कभी पुत्री बहन मॉं पत्नी बन
सखा निभाती फर्ज सभी
हर फर्ज निभाया तुमने बखूबी से
निज पहचान बनाने को बढ़ना होगा।
कहीं अशिक्षा, घूंघट कहीं दहेज रुपी दानव की भेंट
इन कुप्रथाओं पर लगाम अब कसना होगा।
दकियानूसी कुरीतियों की जंजीरों में न उलझना
तोड़ इन कुप्रथाओं की बेड़ियों को नया मुकाम तुम्हें गढ़ना होगा।
सृष्टि का आधार तुम्हीं,
अस्तित्व बचानें को अपना
बेबसी लाचारी का भाव अब तुम्हें तजना होगा।
न आंएगे कोई चक्रधारी चीर बढ़ाने को तुम्हारा
होकर सशक्त सारथी भी स्वयं का बनना होगा।
ईश्वर भी तेरी मातृत्व शक्ति का यशगान करतें
नारी तू है नारायणी का प्रतिमान नया रचना होगा।
हे नारी! पहचानों अपनी शौर्य शक्ति
शिक्षित सशक्त सक्षम बन अंशुमान तुम्हें बनना होगा।
स्वरचित एवं मौलिक रचना
–✍️ एकता गुप्ता “काव्या”

Related Articles

दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34

जो तुम चिर प्रतीक्षित  सहचर  मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष  तुम्हे  होगा  निश्चय  ही प्रियकर  बात बताता हूँ। तुमसे  पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

Responses

+

New Report

Close