Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
Ajay Nawal
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शायरी संग्रह भाग 2 ।।
हमने वहीं लिखा, जो हमने देखा, समझा, जाना, हमपे बीता ।। शायर विकास कुमार 1. खामोश थे, खामोश हैं और खामोश ही रहेंगे तेरी जहां…
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वतन में आज नया आफताब निकला है,
वतन में आज नया आफताब निकला है, हर एक घर से गुल ए इंकलाब निकला है। सवाल बरसों सताते रहे थे जो हमको, सुकूनबख्श कोई…
nice 🙂
Thanks
nice one!!
Thank u
nice 1
Thanks bro
वाह
बहुत खूब