निश्छल

नदी नाम है अविरल बहती जलधारा की
त्याग, गतिमय, अवगुण-गुण का भेद मिटाने की
कश! हममें भी यह सब आ जाए
अपना चित भी तरनी से निश्छल हो जाएँ

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