न सवाल हुआ , न जवाब ही हमारी तन्हाई में
न सवाल हुआ , न जवाब ही हमारी तन्हाई में ।
आंखों ही आंखों से बात हुई हमारी तन्हाई में ।
खामोशी को इकरार समझने लगे थे,ख्वाबों मे,
पर जिंदगी है हकीकत समझ में आई तन्हाई में ।
जख्म दिल में जो लगते है दिखालाई नहीं देती ,
बस दर्द है तड़फाती सदा हमे यूं ही तन्हाई में।
तन्हा ही खुश हूं मैं ताउम्र जिंदगी भर के लिए,
तेरी यादें ही काफी है जीने को यूं ही तन्हाई में।
कोई सिला नहीं है हमको इस जहाँ में योगेन्द्र
पिला भरी बोतल चल साकी यूं ही तन्हाई में ।
…………………………. योगेन्द्र कुमार निषाद
घरघोड़ा,छ०ग०
7000571125
nice line…”तन्हा ही खुश हूं मैं ताउम्र जिंदगी भर के लिए”
बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीया सीमा राठी जी
beautiful writing …shuru se akhir tak bahut khoobsurat alfaz… I like it
शुक्रिया आदरणीय
Waaah
वाह बहुत सुंदर
I like it