Categories: हाइकु
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O nil gagan ke saudagar
ओ नील गगन के सौदागर,, हवा में उड़ना तेरी फितरत है, मुझे भी अपनी पंख दे दे पंछी , मैं भी ऊरु उस नील गगन…
कवि तो उड़ता पंछी है
सारे पिंजरे तोड़ चुका वो . मन की मर्जी से जीता है. कवि तो उड़ता पंछी है जो उमंगो के आसमान मे उड़ता है कवि…
पतंग
न बाँधों मन पतंग को,उड़ जाने दो नवीन नभ की ओर हंस सम भरने दो,अति उमंग मे नई एक उड़ान स्वतंत्र भावों की डोर मे…
मकर संक्रांति : आसमान का मौसम बदला
आसमान का मौसम बदला बिखर गई चहुँओर पतंग। इंद्रधनुष जैसी सतरंगी नील गगन की मोर पतंग। मुक्त भाव से उड़ती ऊपर लगती है चितचोर पतंग।…
कविता : गांधी के सपनों का ,उड़ता नित्य उपहास है ..
वही पालकी देश की जनता वही कहार है लोकतन्त्र के नाम पर बदले सिर्फ सवार हैं राज है सिर्फ अंधेरों का उजालों को वनवास है…
वाह
Sweet