पापा के दुलारी

बेफिक्र बचपन और जिन्दगी है न्यारी,

थोड़ी शरारत और साँवली सूरत है प्यारी।

मम्मी की गुड़िया और पापा की दुलारी,

रहती उनके दिल में बनकर राजकुमारी।

ख्वाहिशें हुई हैं पूरी चाहे जितनी हो गरीबी,

भूल से भी माँ बाप ने न जाहिर की मजबूरी।

जिन्दगी के बंजर रैम्प पर वह कैटवॉक करती,

यह नन्ही-सी मॉडल सबको है नि:शब्द करती।’
रचनाकार:-
अभिषेक शुक्ला ‘सीतापुर’

Related Articles

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

Responses

+

New Report

Close