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प्रभात का संदेशा

बह रही पवन ,खिल रहे सुमन,
कितना अदभुद यह नजारा है,
छंट गया तिमिर, बीती यामिनी,
रवि की किरणों ने पैर पसारा है।
नभ में चिड़ियाँ,कलरव करतीं,
गुंजन यह मधुरिम छाया है,
आलस्य त्याग हे मनुज जाग
पूरब से संदेशा आया है,
धरती का आंचल महक रहा,
नूतन यह सवेरा आया है,
करें धन्यवाद उस ईश्वर का,
जिसने संसार रचाया है,
जिसने संसार रचाया है।

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