प्रभात का संदेशा
बह रही पवन ,खिल रहे सुमन,
कितना अदभुद यह नजारा है,
छंट गया तिमिर, बीती यामिनी,
रवि की किरणों ने पैर पसारा है।
नभ में चिड़ियाँ,कलरव करतीं,
गुंजन यह मधुरिम छाया है,
आलस्य त्याग हे मनुज जाग
पूरब से संदेशा आया है,
धरती का आंचल महक रहा,
नूतन यह सवेरा आया है,
करें धन्यवाद उस ईश्वर का,
जिसने संसार रचाया है,
जिसने संसार रचाया है।
करे धन्यवाद उस ईश्वर का जिसने संसार रचाया है ।बहुत ही सुंदर पंक्तियां अमिता जी
बह रही पवन ,खिल रहे सुमन,
कितना अदभुद यह नजारा है,
छंट गया तिमिर, बीती यामिनी,
रवि की किरणों ने पैर पसारा है।
—— प्रातःकाल की सुंदरता का अद्भुत चित्रण
आलस्य त्याग हे मनुज जाग
पूरब से संदेशा आया है,
धरती का आंचल महक रहा,
नूतन यह सवेरा आया है,
_____ प्रातः काल के सौंदर्य का बहुत ही सुंदर शब्द चित्र प्रस्तुत किया है आपने एकता जी। बहुत ख़ूब
प्रातः काल का सुंदर वर्णन किया है आपने
Bahut sunder rachman hai
वाह क्या बात है बहुत सुन्दर रचना 👌🌹🙏
अतिसुंदर
Sundar rachna
great