**बदला नहीं है वो**

वही तल्खियत लहज़े में, वही कशिश अदाओं में,

आज फ़िर यही लगा कि बदला नहीं है वो l

 

 

उसको भी मयस्सर हैं मेरे हिज़्र के खसारे,

मेरे उन्स से भी अबतक निकला नहीं है वो l

 

 

चश्म-ओ-चिराग बुझ गये, मेरी चश्म है अब आबसार,

उसका आब-ए-तल्ख इज़्तिरार, ढला नहीं है वो l

 

 

कुर्बत है शरारों की उसे मेरी ही मानिन्द लेकिन,

ये बात यूं निहां है कि पिघला नहीं है वो l

 

 

वो आग है कुछ मुख्तलिफ़ जिस आग में जलता है वो,

मैं हूं जला जिस आग में, जला नहीं है वो ll

 

Word-meanings-

 

उन्स-प्यार

तल्खियत=कड़वाहट

मयस्सर=उपलब्ध

खसारे=नुकसान

चश्म-ओ-चिराग=आंख का प्रकाश

चश्म=आंख

आबसार=झरना(Waterfall)

आब-ए-तल्ख=आंसू

इज़्तिरार=बेचैन/बेचैनी

कुर्बत=नजदीकी/करीब होना

निहां=छुपा हुआ/छुपी हुई

मुख्तलिफ़=अलग(Different)

हिज़्र=जुदाई

मानिन्द=जैसे

 

 

 

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-Er Anand Sagar Pandey

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