बलिदान

याद मेरी जो आये कभी माँ
आँखों को मत नम करना,
देख-देख तस्वीरें मेरी
ज़रा भी तुम मत ग़म करना,
अपनी गोद में ढूंढना मुझको
अब भी तुम्हें वहीं मिलूंगा मैं
बाद मेरे माँ अपनी खुशियाँ
ज़रा भी तुम मत कम करना।

कमी मेरी महसूस कभी हो
तो भी पिता दुःखी मत होना,
माँ कमज़ोर न पड़ जाए
ये सोच पिता कभी मत रोना,
तुम्हे ही तो संभालना है अब
उस घर को उस आँगन को
होठों से मुस्कान पिता
एक पल के लिए भी मत खोना।

त्यौहारों पे मत कहना
मेरे बिन वो घर खाली है,
मत कहना मैं नहीं हूँ तो फिर
खुशियों की बदहाली है,
गर्व करना इस बात पे कि
उस घर का ही तो बेटा हूँ
मेरे इस बलिदान से ही तो
वहाँ आज दीवाली है।

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