बात हो रोजगार की
बात हो रोजगार की, भरें युवा के जख्म,
जगे नया उत्साह अब, नयी बजे कुछ नज्म।
नयी बजे कुछ नज्म, खिले माथा यौवन का,
सिंचित कर हर फूल, खिले भारत उपवन का,
कहे लेखनी न्याय हो अब यौवन के साथ,
बेकारी हो दूर, यही हो पहली बात।
बात हो रोजगार की, भरें युवा के जख्म,
जगे नया उत्साह अब, नयी बजे कुछ नज्म।
नयी बजे कुछ नज्म, खिले माथा यौवन का,
सिंचित कर हर फूल, खिले भारत उपवन का,
कहे लेखनी न्याय हो अब यौवन के साथ,
बेकारी हो दूर, यही हो पहली बात।
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Very very nice poem
बेरोजगार युवा के ह्रदय की पीर को व्यक्त करती हुई कवि सतीश जी की चार बेहद शानदार पंक्तियां
बहुत खूब रचना पाण्डेय जी
बात हो रोजगार की, भरें युवा के जख्म,
जगे नया उत्साह अब, नयी बजे कुछ नज्म।
________ छंद शैली के विशेषज्ञ कवि सतीश जी की , दृष्टि से जीवन की कोई भी समस्या अछूती नहीं है बेरोजगारी की ज्वलंत समस्या पर प्रकाश डालते हुए और सरकार से उसका निदान मांगते हुए छंद शैली में बहुत ही उत्तम रचना, अति उत्तम लेखन
Nice poetry
Very nice poem