बाबुजी की याद में…..

*ओ बाबुजी…*

बहुत याद आते हो ओ बाबूजी
दिल को रुलाते हो ओ बाबुजी ।।

जीना तुम्हारे बिन गवारा नहीं
धड़कते हो सीने में ओ बाबुजी।।

अंधेरी है दुनिया अंधेरी है राहें
अंधेरी है खुशियां ओ बाबुजी।।

रोता है सूरज पूरब सुबह से
अश्क़ों में डूबे दिन ओ बाबुजी।।

घर की दीवारें आसमा सितारे
क्षितिज तक है सुबकन ओ बाबुजी।।

नींद और निवाले भी दुश्मन हुए
सांस भी खिलाफत में ओ बाबूजी।।

सुबह के अज़ान और प्रभु आरती
कुछ भी नहीं भाते ओ बाबुजी।।

जिद्द है हमारी की लौट आओ तुम
हठ न छोड़ेंगे हम ..ओ बाबुजी ।।

@-1813/15.

Related Articles

प्यार अंधा होता है (Love Is Blind) सत्य पर आधारित Full Story

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Anu Mehta’s Dairy About me परिचय (Introduction) नमस्‍कार दोस्‍तो, मेरा नाम अनु मेहता है। मैं…

पुनर्विवाह (Part -2)

पुनर्विवाह (Part -2) विवाह संस्कार अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण हैं, किसी भी महिला के लिए विधवा होने के दर्द से बड़ा दर्द, दुनिया में…

पुनर्विवाह (Part -1)

पुनर्विवाह (Part -1) अटूट विश्वास और समर्पण का ही दूसरा नाम है शादी, लेकिन नियति पर किसी का वश नहीं होता। कई बार बीच राह…

Responses

+

New Report

Close