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बारिश

मन किसी सूखी नदी सा हो रहा
आप कहती हो कि बारिश आ गई,
जो ये छींटे पड़ रहे हैं उनसे बस
एक सूनापन सा मन में गड रहा,
कब तलक यूँ ही घिरेगा आसमाँ
बूंदाबांदी ही रहेगी प्यार की,
कब तलक बिछुड़े रहेंगे आप हम
कब तलक बरसेगा खुलकर आसमाँ,
—————- Dr. सतीश पांडेय

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