बाल मजदूर महेश गुप्ता जौनपुरी 4 years ago बच्चें को बचपन तपाना मंजूर था, मेहनत मजदूरी की रोटी कुबूल था। शान से जीना शान से मरना मां ने सिखाया था, इसलिए आत्मसम्मान में रोटी कमाना आसान था।। ✍महेश गुप्ता जौनपुरी