बिछडने के ख्याल से हम आपसे मिलने से डरते है
बिछडने के ख्याल से हम आपसे मिलने से डरते है
मगर कैसे बताएं हम किस कदर तनहा मरते है
देख न ले वो हमें, कहीं पुकार न ले
उनकी गलियों से यूं गुज़रने से डरते है
ताउम्र उन्हे चाहने के सिवा क्या किया है हमने
अब मगर यूं बेहिसाब चाहने से डरते है
कभी बारिश का इंतजार रहता था हमें सालभर
मगर अब भीग जाने के ख्याल से ही डरते है
दर्द को लिखना चाहते है मगर लफ़्ज साथ ही नही देते
दिल ए दरिया से बाहर आने से आजकल वो मुखरते है
उम्दा
Thnx
nice poetry
Thnx
nice
देख न ले वो हमें, कहीं पुकार न ले
उनकी गलियों से यूं गुज़रने से डरते है
वाह वाह जी