बींद के इंतजार में Abhishek kumar 4 years ago आज कुछ बदला- बदला मिज़ाज है दिल भी बेताब है सिसकियाँ भी खामोश हैं….. लफ्जों में मिठास है गूंजती जा रही है गलियों में शहनाई बींद के इन्तज़ार में….. बीती जा रही है स्वर्ण रात्रि गेसुओं की घनी छाँव के तले बैठी मेरी ख्वाइशों भरी एक शाम है….