भोजपुरी कविता- सूझबूझिया लगइबा ना त |

भोजपुरी कविता- सूझबूझिया लगइबा ना त |
सूझबूझिया लगइबा ना त कईसे होइहे किसनिया |
धनवा कटाई खेतवा जोताई करा गेहुआ बोवनिया|
गोबरा के खदीया खेतवा मे डलिहा मटिया मिलाई |
खर पतवरवा चुनी निकलिहा हरवा बयलवा चलाई |
आइब हमहु खेतवा बनाई लिट्टी चोखा औरी चटनिया |
किट पतंगवा से गेंहुआ बचावेके सङ्गे दवइया डालेके |
सूझबूझिया लगाई जानवर चउआ से खेतवा बचावेके |
लह लहलहाई हरियर गेंहुआ बलिया बही पवनिया |
समईया देखि सिंचल जाई खेतवा पनिया निरमल हो |
खेतवा परति ना छोड़िहा बोई दीहा धनिया हरियर हो |
पकी जइहे गेहुआ काटी भरी दीहा सइया खरिहनिया |
बाल बच्चा खइहे घरे गाँव नगरिया सबके खियाइब |
भुखल ना रही केहु देशवा भूखिया अबके मिटाइब |
सूझबूझिया मार भगाइब दुश्मन पापी पाकिस्तनिया |
सूझबूझिया लगइबा ना त कैसे होइहे किसनिया |
श्याम कुँवर भारती [राजभर] कवि ,लेखक ,गीतकार ,समाजसेवी ,
मोब /वाहत्सप्प्स -9955509286

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