मकर संक्रांति
मकर संक्रांति में जैसे ही ढल निकले,
सूरज चाचू उत्तरायण में चल निकले,
सोचा नहीं एक पल भी फिर देखो,
टिकाई नज़र आसमाँ पर हम नकले,
चढ़ा ली खुशबू रेवड़ी मूंगफली की ऐसे,
के सुबह के भूले सारे मानो कल निकले,
भर दिया जहन की ज़मी को ज़िद में अपनी,
के ख्वाबों में टकराये जो हमसे वो जल निकले।।
राही अंजाना
Nice
धन्यवाद
Good