Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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मैं हूँ नीर
मैं हूँ नीर, आज की समस्या गंभीर मैं सुनाने को अपनी मनोवेदना हूँ बहुत अधीर , मैं हूँ नीर जब मैं निकली श्री शिव की…
दुर्योधन कब मिट पाया:भाग-34
जो तुम चिर प्रतीक्षित सहचर मैं ये ज्ञात कराता हूँ, हर्ष तुम्हे होगा निश्चय ही प्रियकर बात बताता हूँ। तुमसे पहले तेरे शत्रु का शीश विच्छेदन कर धड़ से, कटे मुंड अर्पित करता…
मृगतृष्णा
मेरी खोज मृगतृष्णा तेरी वफ़ाएं मृगतृष्णा सारा जीवन मृगतृष्णा
मिठे बचन
मिठे बचन सदैव बोलिए, कटु वचन का करें त्याग। आत्मा के मिठे विचार से, मन के बुझाये जलते आग।। ✍महेश गुप्ता जौनपुरी
मृगतृष्णा
रेत सी है अपनी ज़िन्दगी रेगिस्तान है ये दुनिया, रेत सी ढलती मचलती ज़िन्दगी कभी कुछ पैरों के निशान बनाती और फिर उसे स्वयं ही…
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