Categories: हिन्दी-उर्दू कविता
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अनकही बाते
बिन कहे क्या तुम समझ जाओगे समझने कि तकलीफ उठा पाओगे या फिर पूछने पर वही थम जाओगे सर उठाकर ना कह पाओगे स्याही के…
मुकाम
साम दाम दण्ड भेद से मुकाम तो पा लोगे। पर आईने में खुद से, क्या नजरें मिला लोगे? काबिलियत कितनी है, गिरेबां में झाँक लो,…
मनुज अब सुमिरन करता है
श्रीराम हरो पीड़ा मनुज अब सुमिरन करता है। जहां तहाँ फैली महामारी, दुखी हुई प्रजा यह सारी, दूर करो रजनी अंधियारी, सुमिरन करता है, मनुज…
प्रेम का संदेश दें
अपनी खुशियों पर रहें खुश दूसरों से क्यों भिड़ें, बात छोटी को बड़ी कर पशु सरीखे क्यों लड़ें। जिन्दगी जीनी सभी ने क्यों किसी को…
कहां जाओगे
दस्तकश कहां जाओगे। क्या मुझे भूल पाओगे। मैं तो तुम्हारी आदत हूं, क्या आदत बदल पाओगे। ख्वाब में मैं, जेहन में मैं, हर-शू मुझे हर…
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