“ममता की मूरत हो तुम”
देखी दुनिया की खूबसूरती
पर माँ सबसे खूबसूरत हो तुम
मेरी सबसे अच्छी सखी और
ममता की मूरत हो तुम
जो मुख से निकले मेरे फौरन
हाजिर कर देती हो
मेरे चेहरे से ही तुम दुःख
तकलीफ भांप लेती हो
पूरा दिन तुम काम करो
सबकी फिक्र तुम करती हो
सोती सबसे बाद में तुम पर
सबसे पहले उठती हो
माँ तुम कितनी अच्छी हो
दिल की कितनी सच्ची हो…
माँ होती ही ऐसी हैं, माँ के ऊपर लिखी हुई बहुत सुंदर रचना
आभार आपका सराहना के लिए गीता जी
मां की ममता का खूबसूरत चित्रण किया है रचना मे।
धन्यवाद
माँ जैसी कहाँ कोई
सच में बहुत ही सुन्दर रचना
धन्यवाद आपका
अतिसुंदर भाव
Thanks